UPSC History Syllabus in Hindi 2024: नमस्कार दोस्तों BhawaniShankar.in पर आपका स्वागत है। Union Public Service Commission (UPSC) Mains में पेपर 6 और 7 का महत्वपूर्ण विषय (History) इतिहास रखा गया है, इस लेख में हम आपको UPSC History Syllabus in Hindi 2024 के बारे में बताने वाले है, इसके साथ UPSC History Optional Syllabus in Hindi 2024 की पीडीएफ डाउनलोड करने की लिंक भी नीचे दी गई है।
UPSC History ka Syllabus in Hindi
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UPSC Mains में पेपर 6 और 7 का महत्वपूर्ण विषय इतिहास रखा गया है, इस लेख में हम आपको यूपीएससी हिस्ट्री सिलेबस इन हिंदी 2024 के बारे में बताने वाले हैं इसके साथ UPSC History Optional Syllabus in Hindi 2024 की पीडीएफ डाउनलोड करने की लिंक भी नीचे दी गई है।
पेपर | Mains मुख्य पेपर | विषय | अंक | समय |
1 | पेपर VI | History पेपर- I | 250 | 3 घंटे |
2 | पेपर VII | History पेपर- II | 250 | |
कुल | 500 |
- प्रत्येक पेपर 250 अंको का होगा।
- पेपर हल करने के लिए 3 घंटे समय होता है।
- परीक्षा में गलत प्रश्न के लिए कोई नकारात्मक अंकन (NO NAGETIVE MARKING) नहीं है।
UPSC History Syllabus In Hindi 2024
UPSC History Syllabus In Hindi Paper 1
- स्रोत: पुरातात्विक स्रोत: अन्वेषण, उत्खनन, पुरालेख, मुद्राशास्त्र, स्मारक साहित्यिक स्रोत: स्वदेशी: प्राथमिक और माध्यमिक; कविता, वैज्ञानिक साहित्य, साहित्य, क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य, धार्मिक साहित्य। विदेशी वृत्तांत: यूनानी, चीनी और अरब लेखक।
- प्रागैतिहासिक और आद्य-इतिहास: भौगोलिक कारक; शिकार करना और एकत्र करना (पुरापाषाण और मध्यपाषाण); कृषि की शुरुआत (नवपाषाण और ताम्रपाषाण)।
- सिंधु घाटी सभ्यता: उत्पत्ति, तिथि, विस्तार, विशेषताएं, गिरावट, अस्तित्व और महत्व, कला और वास्तुकला।
- मेगालिथिक संस्कृतियाँ: सिंधु के बाहर देहाती और कृषि संस्कृतियों का वितरण, सामुदायिक जीवन का विकास, बस्तियाँ, कृषि, शिल्प, मिट्टी के बर्तन और लौह उद्योग का विकास।
- आर्य और वैदिक काल:भारत में आर्यों का विस्तार। वैदिक काल: धार्मिक और दार्शनिक साहित्य; ऋग्वैदिक काल से उत्तर वैदिक काल तक परिवर्तन; राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन; वैदिक युग का महत्व; राजतंत्र एवं वर्ण व्यवस्था का विकास।
- महाजनपदों की अवधि: राज्यों का गठन (महाजनपद): गणराज्य और राजतंत्र; शहरी केन्द्रों का उदय; व्यापार मार्ग; आर्थिक विकास; सिक्के का परिचय; जैन धर्म और बौद्ध धर्म का प्रसार; मगध और नंदों का उदय। ईरानी और मैसेडोनियाई आक्रमण और उनका प्रभाव।
- मौर्य साम्राज्य: मौर्य साम्राज्य की नींव, चंद्रगुप्त, कौटिल्य और अर्थशास्त्र; अशोक; धर्म की अवधारणा; आदेश; राजव्यवस्था, प्रशासन; अर्थव्यवस्था; कला, वास्तुकला और मूर्तिकला; बाहरी संपर्क; धर्म; धर्म का प्रसार; साहित्य। साम्राज्य का विघटन; शुंग और कण्व।
- उत्तर-मौर्य काल (भारत-यूनानी, शक, कुषाण, पश्चिमी क्षत्रप): बाहरी दुनिया से संपर्क; शहरी केंद्रों का विकास, अर्थव्यवस्था, सिक्का निर्माण, धर्मों का विकास, महायान, सामाजिक स्थितियाँ, कला, वास्तुकला, संस्कृति, साहित्य और विज्ञान।
- पूर्वी भारत, दक्कन और दक्षिण भारत में प्रारंभिक राज्य और समाज: खारवेल, सातवाहन, संगम युग के तमिल राज्य; प्रशासन, अर्थव्यवस्था, भूमि अनुदान, सिक्का, व्यापार संघ और शहरी केंद्र; बौद्ध केंद्र; संगम साहित्य एवं संस्कृति; कला और वास्तुकला।
- गुप्त, वाकाटक, और वर्धन: राजनीति और प्रशासन, आर्थिक स्थितियाँ, गुप्तों का सिक्का, भूमि अनुदान, शहरी केंद्रों का पतन, भारतीय सामंतवाद, जाति व्यवस्था, महिलाओं की स्थिति, शिक्षा और शैक्षणिक संस्थान; नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी, साहित्य, वैज्ञानिक साहित्य, कला और वास्तुकला।
- गुप्त काल के दौरान क्षेत्रीय राज्य: कदंब, पल्लव और बादामी के चालुक्य; राजव्यवस्था और प्रशासन, व्यापार संघ, साहित्य; वैष्णव और शैव धर्म का विकास। तमिल भक्ति आंदोलन, शंकराचार्य; वेदान्त; मंदिर और मंदिर वास्तुकला संस्थान; पाल, सेना, राष्ट्रकूट, परमार, राजव्यवस्था और प्रशासन; सांस्कृतिक पहलू। सिंध पर अरबों की विजय; अल्बरूनी, कल्याण के चालुक्य, चोल, होयसल, पांड्य; राजव्यवस्था और प्रशासन; स्थानीय सरकार; कला और वास्तुकला का विकास, धार्मिक संप्रदाय, मंदिर और मठों की संस्था, अग्रहार, शिक्षा और साहित्य, अर्थव्यवस्था और समाज।
- प्रारंभिक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के विषय: भाषाएँ और ग्रंथ, कला और वास्तुकला के विकास के प्रमुख चरण, प्रमुख दार्शनिक विचारक और स्कूल, विज्ञान और गणित में विचार।
- प्रारंभिक मध्यकालीन भारत, 750-1200: राजव्यवस्था: उत्तरी भारत और प्रायद्वीप में प्रमुख राजनीतिक विकास, राजपूतों की उत्पत्ति और उत्थान – चोल: प्रशासन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और समाज – “भारतीय सामंतवाद” – कृषि अर्थव्यवस्था और शहरी बस्तियाँ – व्यापार और वाणिज्य – समाज: ब्राह्मण की स्थिति और नई सामाजिक व्यवस्था – महिलाओं की स्थिति – भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी।
- तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था: समाज: ग्रामीण समाज की संरचना, शासक वर्ग, शहरवासी, महिलाएं, धार्मिक वर्ग, जाति और सल्तनत के तहत गुलामी, भक्ति आंदोलन, सूफी आंदोलन – संस्कृति: फारसी साहित्य, साहित्य उत्तर भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में, दक्षिण भारत की भाषाओं में साहित्य, सल्तनतकालीन वास्तुकला और नए संरचनात्मक रूप, चित्रकला, समग्र संस्कृति का विकास – अर्थव्यवस्था: कृषि उत्पादन, शहरी अर्थव्यवस्था और गैर-कृषि उत्पादन का उदय, व्यापार, और वाणिज्य।
- भारत में सांस्कृतिक परंपराएँ, 750- 1200: दर्शन: शंकराचार्य और वेदांत, रामानुज और विशिष्टाद्वैत, माधव और ब्रह्ममीमांसा – धर्म: धर्म के रूप और विशेषताएं, तमिल भक्ति पंथ, भक्ति का विकास, इस्लाम और भारत में इसका आगमन, सूफीवाद – साहित्य: संस्कृत में साहित्य, तमिल साहित्य का विकास, नई विकासशील भाषाओं में साहित्य, कल्हण की राजतरंगिनी, अलबरूनी का भारत – कला और वास्तुकला: मंदिर वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला
तेरहवीं शताब्दी – दिल्ली सल्तनत की स्थापना: घुरियन आक्रमण – घुरियन सफलता के पीछे के कारक – आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिणाम – दिल्ली सल्तनत की स्थापना और प्रारंभिक तुर्की सुल्तान – एकीकरण: इल्तुतमिश और बलबन का शासन। - चौदहवीं शताब्दी: “खिलजी क्रांति” – अलाउद्दीन खिलजी: विजय और क्षेत्रीय विस्तार, कृषि और आर्थिक उपाय – मुहम्मद तुगलक: प्रमुख परियोजनाएँ, कृषि उपाय, मुहम्मद तुगलक की नौकरशाही – फ़िरोज़ तुगलक: कृषि संबंधी उपाय, सिविल इंजीनियरिंग और सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्धियाँ कार्य, सल्तनत का पतन, विदेशी संपर्क और इब्न बतूता का विवरण।
- पंद्रहवीं और प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी – राजनीतिक विकास और अर्थव्यवस्था: प्रांतीय राजवंशों का उदय: बंगाल, कश्मीर (ज़ैनुल आबेदीन), गुजरात, मालवा, बहमनिद – विजयनगर साम्राज्य – लोदी – मुगल साम्राज्य, पहला चरण: बाबर और हुमायूँ – सूर साम्राज्य : शेरशाह का प्रशासन – पुर्तगाली औपनिवेशिक उद्यम – भक्ति और सूफी आंदोलन।
- पंद्रहवीं और प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी – समाज और संस्कृति: क्षेत्रीय सांस्कृतिक विशिष्टताएँ – साहित्यिक परंपराएँ – प्रांतीय वास्तुकला – विजयनगर साम्राज्य में समाज, संस्कृति, साहित्य और कलाएँ।
अकबर: साम्राज्य की विजय और सुदृढ़ीकरण – जागीर और मनसब प्रणाली की स्थापना – राजपूत नीति – धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण का विकास, सुलह-ए-कुल का सिद्धांत और धार्मिक नीति – कला और प्रौद्योगिकी का दरबारी संरक्षण। - सत्रहवीं सदी में मुगल साम्राज्य: जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब की प्रमुख प्रशासनिक नीतियां – साम्राज्य और जमींदार – जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब की धार्मिक नीतियां – मुगल राज्य की प्रकृति – सत्रहवीं सदी के उत्तरार्ध के संकट और विद्रोह – अहोम साम्राज्य – शिवाजी और प्रारंभिक मराठा साम्राज्य।
- सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था और समाज: जनसंख्या, कृषि उत्पादन, शिल्प उत्पादन – कस्बे, डच, अंग्रेजी और फ्रांसीसी कंपनियों के माध्यम से यूरोप के साथ वाणिज्य: एक व्यापार क्रांति – भारतीय व्यापारिक वर्ग, बैंकिंग, बीमा और ऋण प्रणाली – की स्थिति किसान, महिलाओं की स्थिति – सिख समुदाय और खालसा पंथ का विकास।
- मुगल साम्राज्य में संस्कृति: फारसी इतिहास और अन्य साहित्य – हिंदी और अन्य धार्मिक साहित्य – मुगल वास्तुकला – मुगल चित्रकला – प्रांतीय वास्तुकला और चित्रकला – शास्त्रीय संगीत – विज्ञान और प्रौद्योगिकी।
- अठारहवीं शताब्दी: मुगल साम्राज्य के पतन के कारक – क्षेत्रीय रियासतें: निज़ाम का दक्कन, बंगाल, अवध – पेशवाओं के अधीन मराठा प्रभुत्व – मराठा राजकोषीय और वित्तीय प्रणाली – अफगान शक्ति का उदय, पानीपत की लड़ाई: 1761 – राज्य ब्रिटिश विजय की पूर्व संध्या पर राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था।
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UPSC History Syllabus In Hindi 2024 Paper 2
- भारत में यूरोपीय प्रवेश: प्रारंभिक यूरोपीय बस्तियाँ; पुर्तगाली और डच; अंग्रेजी और फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनियाँ; वर्चस्व के लिए उनका संघर्ष; कर्नाटक युद्ध; बंगाल -अंग्रेजों और बंगाल के नवाबों के बीच संघर्ष; सिराज और अंग्रेज़; प्लासी का युद्ध; प्लासी का महत्व।
- भारत में ब्रिटिश विस्तार: बंगाल – मीर जाफ़र और मीर कासिम; बक्सर का युद्ध; मैसूर; मराठा; तीन आंग्ल-मराठा युद्ध; पंजाब।
- ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना: प्रारंभिक प्रशासनिक संरचना; द्वैध शासन से प्रत्यक्ष नियंत्रण तक; रेगुलेटिंग एक्ट (1773); पिट्स इंडिया एक्ट (1784); चार्टर अधिनियम (1833); मुक्त व्यापार की आवाज़ और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का बदलता चरित्र; अंग्रेजी उपयोगितावादी और भारत।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का आर्थिक प्रभाव: ब्रिटिश भारत में भू-राजस्व बंदोबस्त; स्थायी बंदोबस्त; रैयतवाड़ी बस्ती; महलवाड़ी बस्ती; राजस्व व्यवस्था का आर्थिक प्रभाव; कृषि का व्यावसायीकरण; भूमिहीन कृषि मजदूरों का उदय; ग्रामीण समाज की दरिद्रता।
पारंपरिक व्यापार और वाणिज्य का विस्थापन; डी-औद्योगिकीकरण; पारंपरिक शिल्प का ह्रास; धन का निकास; भारत का आर्थिक परिवर्तन; टेलीग्राफ और डाक सेवाओं सहित रेलमार्ग और संचार नेटवर्क; ग्रामीण इलाकों में अकाल और गरीबी; यूरोपीय व्यापार उद्यम और उसकी सीमाएँ। - सामाजिक और सांस्कृतिक विकास: स्वदेशी शिक्षा की स्थिति, इसकी अव्यवस्था; प्राच्यवादी-आंग्लवादी विवाद, भारत में पश्चिमी शिक्षा की शुरूआत; प्रेस, साहित्य और जनमत का उदय; आधुनिक स्थानीय साहित्य का उदय; विज्ञान की प्रगति; भारत में ईसाई मिशनरी गतिविधियाँ।
- बंगाल और अन्य क्षेत्रों में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन: राम मोहन रॉय, ब्रह्मो आंदोलन; देवेन्द्रनाथ टैगोर; ईश्वरचंद्र विद्यासागर; युवा बंगाल आंदोलन; दयानंद सरस्वती; भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन जिनमें सती, विधवा पुनर्विवाह, बाल विवाह आदि शामिल हैं; आधुनिक भारत के विकास में भारतीय पुनर्जागरण का योगदान; इस्लामी पुनरुत्थानवाद – फ़राज़ी और वहाबी आंदोलन।
- ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया: 18वीं और 19वीं शताब्दी में किसान आंदोलन और आदिवासी विद्रोह जिनमें रंगपुर ढिंग (1783), कोल विद्रोह (1832), मालाबार में मोपला विद्रोह (1841-1920), संताल हुल (1855) शामिल हैं। इंडिगो विद्रोह (1859-60), डेक्कन विद्रोह (1875) और मुंडा उलगुलान (1899-1900); 1857 का महान विद्रोह – उत्पत्ति, चरित्र, विफलता के कारण, परिणाम; 1857 के बाद के काल में किसान विद्रोह के चरित्र में बदलाव; 1920 और 1930 के दशक के किसान आंदोलन।
- भारतीय राष्ट्रवाद के जन्म के लिए अग्रणी कारक: संघ की राजनीति; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना; कांग्रेस के जन्म से संबंधित सुरक्षा-वाल्व थीसिस; प्रारंभिक कांग्रेस का कार्यक्रम और उद्देश्य; प्रारंभिक कांग्रेस नेतृत्व की सामाजिक संरचना; नरमपंथी और उग्रवादी; बंगाल का विभाजन (1905); बंगाल में स्वदेशी आंदोलन; स्वदेशी आंदोलन के आर्थिक और राजनीतिक पहलू; भारत में क्रांतिकारी उग्रवाद की शुरुआत।
- गांधी का उदय: गांधीवादी राष्ट्रवाद का चरित्र; गांधी की लोकप्रिय अपील; रौलट सत्याग्रह; खिलाफत आंदोलन; असहयोग आंदोलन; असहयोग आंदोलन के अंत से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत तक राष्ट्रीय राजनीति; सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो चरण; साइमन कमीशन; नेहरू रिपोर्ट; गोलमेज़ सम्मेलन; राष्ट्रवाद और किसान आंदोलन; राष्ट्रवाद और श्रमिक वर्ग आंदोलन; भारतीय राजनीति में महिलाएँ और भारतीय युवा और छात्र (1885-1947); 1937 का चुनाव और मंत्रालयों का गठन; क्रिप्स मिशन; भारत छोड़ो आंदोलन; वेवेल योजना; कैबिनेट मिशन।
- 1858 और 1935 के बीच औपनिवेशिक भारत में संवैधानिक विकास।
- राष्ट्रीय आंदोलन के अन्य पहलू क्रांतिकारी: बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, यूपी, मद्रास प्रेसीडेंसी, भारत के बाहर। छोड़ा; कांग्रेस के भीतर वामपंथी: जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अन्य वामपंथी दल।
- अलगाववाद की राजनीति; मुस्लिम लीग; हिंदू महासभा; साम्प्रदायिकता और विभाजन की राजनीति; सत्ता का हस्तांतरण; आजादी।
- एक राष्ट्र के रूप में एकीकरण; नेहरू की विदेश नीति; भारत और उसके पड़ोसी (1947-1964); राज्यों का भाषाई पुनर्गठन (1935-1947); क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय असमानता; रियासतों का एकीकरण; चुनावी राजनीति में राजकुमार; राष्ट्रभाषा का प्रश्न
- 1947 के बाद जाति और जातीयता; उपनिवेशवाद के बाद की चुनावी राजनीति में पिछड़ी जातियाँ और जनजातियाँ; दलित आंदोलन
- आर्थिक विकास और राजनीतिक परिवर्तन; भूमि सुधार; योजना और ग्रामीण पुनर्निर्माण की राजनीति; उत्तर-औपनिवेशिक भारत में पारिस्थितिकी और पर्यावरण नीति; विज्ञान की प्रगति
- प्रबोधन एवं आधुनिक विचार: (i) प्रबोधन के प्रमुख विचार: कांट, रूसो (ii) उपनिवेशों में प्रबोधन का प्रसार (iii) समाजवादी विचारों का उदय (मार्क्स तक); मार्क्सवादी समाजवाद का प्रसार
- आधुनिक राजनीति की उत्पत्ति: (i) यूरोपीय राज्य प्रणाली। (ii) अमेरिकी क्रांति और संविधान। (iii) फ्रांसीसी क्रांति और उसके परिणाम, 1789-1815। (iv) अब्राहम लिंकन और गुलामी के उन्मूलन के संदर्भ में अमेरिकी गृहयुद्ध। (v) ब्रिटिश लोकतांत्रिक राजनीति, 1815-1850; संसदीय सुधारक, मुक्त व्यापारी, चार्टिस्ट।
- औद्योगीकरण: (i) अंग्रेजी औद्योगिक क्रांति: कारण और समाज पर प्रभाव (ii) अन्य देशों में औद्योगीकरण: संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, जापान (iii) औद्योगीकरण और वैश्वीकरण।
- राष्ट्र-राज्य व्यवस्था: (i) 19वीं शताब्दी में राष्ट्रवाद का उदय (ii) राष्ट्रवाद: जर्मनी और इटली में राज्य-निर्माण (iii) दुनिया भर में राष्ट्रीयताओं के उद्भव के सामने साम्राज्यों का विघटन।
- साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद: (i) दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया (ii) लैटिन अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका (iii) ऑस्ट्रेलिया (iv) साम्राज्यवाद और मुक्त व्यापार: नव-साम्राज्यवाद का उदय।
- क्रांति और प्रतिक्रांति: (i) 19वीं सदी की यूरोपीय क्रांतियां (ii) 1917-1921 की रूसी क्रांति (iii) फासीवादी प्रतिक्रांति, इटली और जर्मनी। (iv) 1949 की चीनी क्रांति।
- विश्व युद्ध: (i) प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध कुल युद्धों के रूप में: सामाजिक निहितार्थ (ii) प्रथम विश्व युद्ध: कारण और परिणाम (iii) द्वितीय विश्व युद्ध: कारण और परिणाम।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया: (i) दो शक्ति गुटों का उदय (ii) तीसरी दुनिया और गुटनिरपेक्षता का उदय (iii) संयुक्त राष्ट्र संघ और वैश्विक विवाद।
- औपनिवेशिक शासन से मुक्ति: (i) लैटिन अमेरिका-बोलिवर (ii) अरब विश्व-मिस्र (iii) अफ्रीका-रंगभेद से लोकतंत्र तक (iv) दक्षिण-पूर्व एशिया-वियतनाम।
- विउपनिवेशीकरण और अविकसितता: (i) विकास में बाधक कारक: लैटिन अमेरिका, अफ्रीका
- यूरोप का एकीकरण: (i) युद्ध के बाद की नींव: नाटो और यूरोपीय समुदाय (ii) यूरोपीय समुदाय का एकीकरण और विस्तार (iii) यूरोपीय संघ।
- सोवियत संघ का विघटन और एकध्रुवीय विश्व का उदय: (i) सोवियत साम्यवाद और सोवियत संघ के पतन के कारक, 1985-1991 (ii) पूर्वी यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन 1989-2001। (iii) शीत युद्ध की समाप्ति और विश्व में एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका का प्रभुत्व।
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